Breaking News

अतिक्रमण की कार्रवाई में गरीबों को चुल्हा बुझा

HTN Live


सरकार ने नहीं बदला रवैया तो आगामी चुनावों में देंगे जवाब: फुटपाथ दुकानदार

लखनऊ। नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ अभियान में भले ही सरकार और नगर निगम को ऊंची हवेलियों में रहने वालों और लैक्जरी गाड़ी से चलने वालों से वाह-वाही मिल रही हो, मगर फुटपाथ पर ठेला गुमटी लगा कर परिवार चलाने वाले गरीब लोग सरकार और नगर निगम की नीतियों से खुश नहीं हैं। राजधानी लखनऊ में हर रोज चलाये जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान में सैकड़ों गरीब अतिक्रमण का शिकार हो गये हंै। जहां एक तरफ सड़कों पर सन्नाटा पसर रहा है, वहीं इन गरीबों के चुल्हे भी कई रोज से ठंडे हो गये हैं। राजधानी के नक्खास, चौक, डालीगंज, गोमतीनगर, चिनहट, सिकंदराबाग, नेशनल कालेज, नरही, सिविल अस्पताल, चौक मण्डी जैसे कई इलाकों में नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी अभियान के दस्ते ने भले ही सड़कों को साफ करके वीआईपी लोगों के लिए रास्ता साफ कर दिया हो, वहीं गरीबों की रोजी-रोटी पर भी अंकुश लगा दिया है। इससे फुटपाथ के दोनों ओर ठेला गुमटी लगाने वाले दुकानदार इन दिनों परिवार को रोटी खिलाने के लिए जंग लड़ रहे हैं। यहां तक इन लोगों ने सरकार को चुनौती तक दे डाली है कि अगर सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला तो आगामी चुनावों में अपनी ताकत दिखा देंगे।
बुधवार को संवाददाता ने शहर के उन हिस्सों में जायजा लिया जहां नगर निगम ने कार्रवाई करते हुए ठेला गुमटी हटा दी है। यहां दुकाने भले ही नहीं थी, मगर अधिकतर दुकानदार उन स्थानों के आसपास दिखे जहां से वह रोजी-रोटी कमा रहे थे। नरही के रमेश कुमार फुटपाथ दुकानदार ने बताया कि दो महिने से बच्चों की स्कूल फीस तक नहीं जमा हो पायी है। एक तो महंगाई ने कमर पहले ही तोड़ दी थी, अब सरकार और उसके मुलाजिमों ने धंघा ही बंद करा दिया है। ऐसे में परिवार को दो वक्त की रोटी खिला पाना दूभर हो रहा है।
नक्खास में हनीफ पटरी दुकानदार ने बताया कि सरकार का रवैया गलत है। सरकार खुद बताये कि हम गरीब जायें तो कहां जायें। धंधा बंद होने से चुल्हा तक बुझ गया है। आखिर सरकार हम गरीबों पर अत्याचार क्यों कर रही है। इसका जवाब भी कोई देने वाला नहीं है। चौक चौराहे पर ठेला, लगाने वाले कई लोगों ने एक स्वर में कहा कि चुनाव दूर नहीं हैं। हम गरीब हैं कहीं न कहीं से रोटी का सहारा कोई दे ही देगा। मगर सरकार को इसका खामियाजा चुनाव में भुगतना होगा। अगर सरकार और उसके विभागों ने गरीबों के हित में अन्याय किया तो गरीब वर्ग के लोग एक जुट होकर सड़कों पर उतरेंगे। सभी गरीब अपने हक की लड़ाई लडऩे पर मजबूर होंगे। डालीगंज के एक्का स्टैण्ड के निकट फुटपाथ पर रोजी-रोटी कमाने के लिए ठेला लगाने वाले अब्दुल करीम ने बताया कि सब कुछ चौपट हो गया है। सरकार का सितम कब तक चलेगा। किराये का ठेला है। किराया हर रोज देना है। धंधा बंद होने से दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है। नेशनल इण्टर कालेज के पास ठेला लगाने वाली एक विधवा ने कहा कि जिसका परिवार नहीं है, उसको कैसे पता चलेगा कि परिवार कैसे चलाया जाता है। सरकार और नगर निगम ने दुकानें बंद कराकर गरीबों के चुल्हे ठंडे करा दिये हैं। 

No comments