कानपुर की बैरल से निकले गोलों ने 1971 में पाकिस्तान को दी थी शिकस्त
HTN Live
कानपुर। पूरा देश में आज के दिन यानी 16 दिसम्बर को विजय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। हर भारतीय अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहा है, लेकिन शायद कुछ ही लोग जानते होंगे कि पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में जीत में महती भूमिका कानपुर की भी रही। यहां के आयुध निर्माणी (ओएफसी) से निर्मित बैरलों से निकले गोलों के चलते ही सेना ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 1971 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया था। इसमें भारतीय सेना ने अद्भुत पराक्रम दिखाते हुए 16 दिसम्बर को पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। इसी के साथ पाकिस्तान दो भागों में बंट गया और बांग्लादेश का निर्माण हो गया। लेकिन इस युद्ध में कानपुर की आयुध निर्माणी (ओएफसी) का महत्वपूर्ण योगदान रहा। यह आयुध निर्माणी उस समय देश की एकमात्र फैक्ट्री थी जो बैरल निर्माण करती थी।
कानपुर। पूरा देश में आज के दिन यानी 16 दिसम्बर को विजय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। हर भारतीय अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहा है, लेकिन शायद कुछ ही लोग जानते होंगे कि पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में जीत में महती भूमिका कानपुर की भी रही। यहां के आयुध निर्माणी (ओएफसी) से निर्मित बैरलों से निकले गोलों के चलते ही सेना ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 1971 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया था। इसमें भारतीय सेना ने अद्भुत पराक्रम दिखाते हुए 16 दिसम्बर को पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। इसी के साथ पाकिस्तान दो भागों में बंट गया और बांग्लादेश का निर्माण हो गया। लेकिन इस युद्ध में कानपुर की आयुध निर्माणी (ओएफसी) का महत्वपूर्ण योगदान रहा। यह आयुध निर्माणी उस समय देश की एकमात्र फैक्ट्री थी जो बैरल निर्माण करती थी।
आयुध निर्माणी के अधिकारियों ने बताया कि इसकी स्थापना 1942 में हुई थी और शुरूआत से ही बैरल का निर्माण करने लगी थी। बताया कि जिस समय पाकिस्तान के खिलाफ 1971 में भारत का युद्ध हो रहा था, उस समय भारतीय सेना के पास टी-55 टैंक और 75/24 टेक हॉविट्जर टैंक थे। इन टैंकों के बैरलों का निर्माण आयुध निर्माणी ने किया था। इन्हीं टैंक और 105 इंडियन फील्डगन का इस्तेमाल कर साहसी भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना को हराकर विजय हासिल की थी।
राष्ट्र और क्रांतिकारियों की यादों को अलख जगाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सर्वेश कुमार पाण्डेय उर्फ निन्नी पाण्डेय ने रविवार को बताया कि जब पाकिस्तान के खिलाफ 1971 का युद्ध भारत ने जीता था तो कानपुर के आयुध निर्माणी की चर्चा पूरे कानपुर के साथ देशभर में रही।
केन्द्र सरकार ने चार और लगायी फैक्ट्री
आयुध निर्माणी के अधिकारियों का कहना है कि जब आयुध निर्माणी की बैरलों के चलते सेना ने पाकिस्तान का युद्ध जीत लिया तो केन्द्र सरकार की एक टीम यहां पर सर्वे करने आयी। इसके बाद टीम ने सर्वे रिपोर्ट केन्द्र्र सरकार को सौंपी और रिपोर्ट के अनुसार केन्द्र सरकार ने चार और फैक्ट्री यहां पर लगाने का निर्णय लिया। इसके बाद सबसे पहले 1972 में फील्डगन फैक्ट्री की स्थापना हुई, जिसके चलते भारत की सामरिक क्षमता पाकिस्तान से बढ़ गयी। अधिकारियों का दावा है कि आयुध निर्माणी और फील्ड गन फैक्ट्री संयुक्त रूप से दुनिया की सबसे बड़ी बैरल निर्माता हो गयी है
No comments