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मानस गृहस्थ गीता पाठ संग श्री रामकथा । दूसरा दिन

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लखनऊ 18 अगस्त बुधवार। बीरबल सहनी मार्ग स्थित पंचमुखी हनुमान मन्दिर परिसर में बाल व्यास आचार्य श्याम भूषण जी के मुखारबिंदु से  मानस गृहस्थ गीता पाठ के साथ  श्री राम कथा का प्रारम्भ हुआ।


आचार्य श्याम भूषण जी ने 
अयोध्या में मात्र बारह वर्ष की अल्पआयु में ही राम कथा का वाचन प्रारम्भ कर दिया था।आप अयोध्या के परिक्रमा मार्ग स्थित श्री कुंज आश्रम में श्री राम कथा का पाठ करने आ रहे है। 
पंचमुखी मन्दिर के अध्यक्ष श्री आर पी शर्मा 
पंडित दिनेश मिश्रा 
व्यवस्थापक पुजारी पण्डित दिनेश दीक्षित ,पंडित पवन मिश्रा 
के द्वारा पंचमुखी बजरंग बली पूजन के पश्चात  कथा का प्रारंभ हुआ।  यजमान राधेराधे ने  आचार्य श्याम भूषण जी को अंग वस्त्र पहना कर कथा पूजन करके श्री राम कथा का प्रारंभ हुआ। 

कल की श्री राम के जन्म की कथा को  आगे बढ़ाते हुए आज विस्तार से बताते हुए आचार्य श्याम भूषण जी कह्ते है कि निसंतान अयोध्या के राजा दशरथ अपने कुल गुरु वशिष्ठ की सलाह के अनुसार उन्हें श्रृंगि ऋषि के पास पुत्रेष्ठि यज्ञ कराने की याचना करने की सलाह दी। याचना हेतु  बिना किसी राजसी ठाठ के पैदल ही जाने को  कहा जिसके बाद राजा दशरथ ने ऐसा ही किया तब श्रृंगि ऋषि द्वारा   पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया इसके  बाद भगवान राम सहित तीन और पुत्र  रत्नों की प्राप्ति  हुई। इस प्रसंग को सुनकर भक्तों को ऐसा लगा जैसे प्रभु राम का जन्म आज ही हुआ है। ऐसा भावविभोर करने वाला वात्सल्य से पूर्ण आज का प्रसंग था।

श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी के अवसर पर एकादशी के पुण्य का वर्णन करते हुए कहा कि  आज की एकादशी व्रत पूजन करने से प्रभु कृष्ण कि प्रिय गौ दान का पुण्य मिलता है।
रसमयी  कथा के श्रवण के लिए भक्तों की उपस्थिति लगातार बनी रही।

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