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कथा व्यास श्रीलक्ष्मीनारायणाचार्य ने भक्तगणों को शुम्भ निशुम्भ व रक्तबीज के संहार की कथा सुनाई

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रिपोर्ट सुशील कुमार द्विवेदी इटियाथोक गोंडा

सिसई बहलोलपुर स्थिति माँ काली मंदिर में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा के पाँचवे दिन कथा व्यास श्रीलक्ष्मीनारायणा चार्य ने भक्तगणों को शुम्भ निशुम्भ व रक्तबीज के संहार की कथा सुनाई।
शुंभ-निशुंभ दैत्यों का प्राकट्य और वध, देवताओं द्वारा मां दुर्गा की स्तुति और अठारह भुजाधारी मां दुर्गा का अवतार आदि प्रसंग विस्तार से सुनाए। मुख्य यजमान देवी प्रसाद तिवारी और चन्दन तिवारी परिवार ने सर्वदेव पूजन में भाग लिया। प्रवचनों में कथाव्यास ने कहा कि पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार शुंभ-निशुंभ नामक पराक्रमी दैत्यों से तीनों लोकों में भय व्याप्त था। इनके आतंक से दुखी होकर देवता जगत माता गौरी के पास जाकर विनती करने लगे। तब गौरी के शरीर से एक कुमारी प्रकट हुई जो शरीर कोष से निकली होने के कारण कौशिकी भी कहलाई। देवताओं संतुष्ट करके उस देवी ने अपनी अठारह भुजाओं का विस्तार किया और सिंह पर सवार हुई। एक जोर की गर्जना करते हुए सिंह इन दैत्यों के पिछे दौड़ा कई दिन के भंयकर युद्ध के बाद देवी दुर्गा ने इन दौनों दैत्यों का संहार किया।
कथा के साथ साथ भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी जी की सुंदर झांकी से श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।
  
कथा के बीच उनके मुख से मां भगवती को समर्पित भजनों ने माहौल को भक्तिमय बनाये रखा। 
इस दौरान श्रद्धालु भी माता रानी के जयकारें लगाते हुए उनकी अराधना में लीन रहे।

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