Uttar Pradesh Police : पुलिस हवलदार का चेहरा बेनकाब
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पुलिस हवलदार द्वारा एडीजी पीएसी कोब्लैकमेल कर जांच बन्द कराने का नाटकीय प्रयास
सोशल मीडिया पर भाजपा विधायक का पत्र वायरल, एडीजी पीएसी को नाहक बदनाम करने की असफल कोशिश
सिपाही ने किया फर्जी न्यूज वायरल
फर्जी वायरल न्यूज से सावधन!!
तथ्यों को परखे बिना सोशल मिडिया पर फारवर्ड न करे
2,सितम्बर की शाम को मीडिया ग्रुप एवम सोशल मीडिया पर वायरल न्यूज ने पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया जिसमें गोपमाऊ,हरदोई से भाजपा विधायक श्याम प्रकाश द्वारा प्रमुख सचिव गृह विभाग को लिखा पत्र वायरल हुआ है।
वायरल पत्र के सत्यता की तस्दीक करने पर सूत्रों के हवाले से यह खबर मिली कि विधायक ने जो पत्र प्रमुख सचिव गृह को भेज गया था उसके साथ पीड़िता का संलग्न पत्र गया ही नही,इसलिए गृह विभाग इस पर कोई जांच ही नही कर रहा है । विधायक जी के मोब0 नम्बर पर बात कर घटना की सत्यता जानने को कोशिश की गई लेकिन बात नही हो सकी।छानबीन करने और सूत्रों के हवाले से पता चला कि
आवेदिका राखी दुबे ,सहायक अध्यापिका प्राथमिक विद्यालय लखनऊ,के पति मुख्य आरक्षी आशीष दुबे 37 वी बटालियन पीएसी में पोस्ट है। इससे पहले आशीष दुबे उत्तर प्रेदश पुलिस स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड में पोस्ट रहा है माहिला खिलाड़ियों द्वारा शारीरिक शोषण की शिकायत की गई। सूत्रों के अनुसार विस्तृत जांच एक महिला आईपीएस अधिकारी से कराई गई।जांच के पश्चात चौकाने बाले तथ्य सामने आए।यह कि महिला खिलाड़ियों को ड्रग लेने,नेशनल टीम में चयन के बदले शरीरिक सम्बन्ध बनाने को बाध्य करने, तथा ऐसे अनैतिक लोगो का कॉकस बने होने की बात सामने आई।जांच में आये लैंगिक अपराध जैसे गम्भीर तथ्य की जांच मा0 सर्वोच्च न्या0 के निर्देश पर कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न से संरक्षण हेतु बनी आंतरिक शिकायत समिति को इस सम्बंध में विस्तृत जांच दी गयी जो अभी जारी है।महिला खिलाड़ियों द्वारा आशीष दुबे द्वारा डराया धमकाया जाने,समिति के समक्ष गवाही न देने के लिए प्रलोभन/प्रताड़ित करने के आरोप लगाए गया है । जिस पर स्पोर्ट आफिसर द्वारा पुष्टि करने व इन्हें लखनऊ से बाहर पोस्ट करने के अनुरोध ओर विभाग द्वारा आशीष दुबे को 48 बटालियन पीएसी सोनभद्र ट्रांसफर कर दिया,बाद में इनकी पत्नी की लखनऊ में पोस्टिंग के दृष्टिगत 37 पीएसी कानपुर पोस्टिंग की गई।
आशीष दुबे रसूकदार हवलदार है,लेकिन अनेको प्रयास के बाद यह अपनी पोस्टिंग लखनऊ न करा पाने पर पिछले एक वर्ष से लगातार गुमनाम,अपने नाम,अपनी पत्नी के नाम से मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री सहित वरिष्ठ अधिकारियों को एडीजी पीएसी के ऊपर तरह तरह के अपमानजनक आरोप लगाते हुए शिकायती पत्र भेजे जा रहे है।यह पत्र भी उसी कड़ी का हिस्सा है।इनके लगभग दो दर्जन शिकायती पत्रों की जांच हो चुकी है,जांच के दौरान इस पति पत्नि द्वारा प्रार्थनापत्र देने से इंकार कर दिया जाता है।
यद्यपि भाजपा विधायक का पक्ष सामने नही आ सका लेकिन दुबे की षड़यँत्रकारी प्रबृत्ति को देखते हुए इस बात की प्रबल आशंका है कि कथित भाजपा विधायक का यह पत्र सिपाही/हवलदार दुबे द्वारा फर्जी व कूटरचित तरीके से तैयार कर पोस्ट किया गया होगा।
यह मुख्य आरक्षी पुलिस जैसे अनुशासित सेवा में रहने लायक नही है,पता नही क्यो पुलिस विभाग इस तरह के अनुशासनहींन और चरित्रहीन कर्मचारियों पर सख्त कार्यवाही करने पर हिचक रहा है।
इसका एकमात्र उद्देश्य एडीजी पीएसी,जिन्होंने इसके विरुद्ध एक्शन लेकर जांच शुरू करायी, की छवि खराब कर उनपर दबाव बनाना है जिससे वे व अन्य अधिकारी बदनामी के डर से उसके खिलाफ चल रही जांचो को बंद कर दे या उसे निर्दोष साबित कर दे।
मुख्य आरक्षी आशीष दुबे लैंगिक उत्पीड़न के सम्बंध में प्रचलित 6 यौन उत्पीड़न की जांचों में संदिग्ध आरोपी है जिसमे एक जांच उत्तर प्रदेश पुलिस की नोडल एजेंसी की अध्यक्ष एडीजी वूमेन पावर कर रही है,और 5 जांचे अपर पुलिस अधीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी कर रहे है।आशीष दुबे बहुत ही शातिर पुलिस कर्मी है इसके साथ इसकी पत्नी बराबर की हिस्सेदार है।इसका जानकीपुरम लखनऊ में निजी मकान है जिसे किराये पर दे रखा है और खुद सपरिवार 35 पीएसी के आवास में वर्षो से काबिज होकर सरकार को लेकर चुना लगा रहा है।
बताते चले कि पुलिस के सिपाही से इंस्पेक्टर तक के कर्मियों को सरकार निशुल्क आवास देती है,जिन्हें आवास उपलब्ध नही हो पाता उन्हें मकान किराया भत्ता के रूप में पैसा दिया जाता है लेकिन आशीष दुबे अधिकारियो की आंख में धूल झोंककर निशुल्क सरकारी आवास में रहते हुए अपने मकान से किराया कमा रहा है।
मजेदार बात यह है कि मकान से हो रही आय को छिपाते हुए इनकम टैक्स की चोरी भी कर रहा है।आशीष दुबे का ट्रांसफर पिछले वर्ष 48 पीएसी सोनभद्र और इस वर्ष 37 पीएसी कानपुर हो गया लेकिन लखनऊ से बाहर पोस्टिंग होने के वावजूद यह अभी भी 35 पीएसी के आवास में अबैध रूप से काबिज है।सेनानायक 35 पीएसी द्वारा मकान खाली करने के दर्जनों नोटिस देने के वावजूद और सेनानायक 37 पीएसी द्वारा दिये जा रहे सरकारी आवास को स्वीकार न कर,35 पीएसी में का आवास अभी तक खाली नही किया है, आज भी उसी आवास में इसका परिवार जबरन रह रहा है।स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड में रही एक महिला खिलाड़ी जो लखनऊ में इस समय पोस्ट है,अपना नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि आशीष बहुत गन्दा व्यक्ति है,फिजियोथिरेपी जानता है,कई अधिकारियों से इसको संरक्षण प्राप्त है इसलिए इसके खिलाफ कोई कार्यवाही नही होती है।स्पोर्ट्स में भी फिजियोथिरेपी के नाम पर हम महिला खिलाड़ियों से अश्लील हरकतें करता था,इसकी तरह कई कमर्चारी थे जिन्हें स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड से अब हटाया जा चुका है।एक वर्ष से अधिक समय से इनलोगो के खिलाफ पुलिस विभाग में जांच चल रही है,इसको बचने वाले बहुत लोग है,यह सभी जांचों से बच जाएगा,इसका कुछ नही होगा।
सूत्रो ने बताया कि वर्ष 2018-19 में लगभग एक दर्जन महिला खिलाड़ी जो नेशनल लेवल की थी,यौन उत्पीड़न से स्पोर्ट्स छोड़ कर चली गयी।मऊ निवासी एक महिला खिलाड़ी रूबी ने अवसाद में आकर अपने घर आत्महत्या कर लिया।उसने बताया कि उपरोक्त तथ्यों की वास्तविकता की जानकारी वूमेन पावर लाइन 1090,डीजीपी व स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड लखनऊ कार्यालय से जानी,परखी,व पुष्ट की जा सकती है।
पूरे घटना क्रम से यह बड़ा सवाल उठता है कि जब पुलिस विभाग खुद अपने महिला कर्मियों के लैंगिक उत्पीड़न से नही बचा पा रहा है,उन्हें न्याय नही दिला पा रहा है,सरकारी आवास का अबैध कब्जा नही हटा पा रहा है,राजकीय धन का गबन नही रोक पा रहा है,वर्षो लम्बित विभागीय जांच निष्पक्ष रूप से पूरी कर दोषियों को दंडित कर न्याय नही कर पा रहा है तो आम जनता प्रदेश पुलिस से क्या उम्मीद करे।देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश सरकार और प्रदेश पुलिस के आला अफसर इस पूरी घटना पर क्या रुख अख्तियार करते।अपने ही विभाग की महिलाओं को न्याय दिला पाते है या एक भ्रस्ट,चरित्रहीन और अनुशासनहीन हवलदार पुलिस के आला अफसरों पर भारी पड़ता है।
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