Nepal : नेपाल की औली सरकार की चीनी नक्शे वाजी को नेपाली जनता ने नकारा
HTN Live
कल सुबह बिहार के सीतामढी अंतर्राष्ट्रीय बार्डर पर नेपाल पुलिस की तरफ से चलाई गई अंधाधुंध गोलियां एक भारतीय की मौत दो घायल करने के साथ ही एक भारतीय नागरिक लगन किशोर को नेपाल की पुलिस उठाकर अपने साथ पकड कर ले जाने के रहस्य की पर्ते अब खुलने लगीं हैं क्यो कि भारतीय अधिकारियो के मामले मे हस्तछेप के बाद नेपाल पुलिस द्वारा अकारण भारतीय नागरिको पर सत्रह राउंड गोलियां दाग कर एक भारतीय की हत्या व दो को घायल करने के बाद नेपाल पुलिस द्वारा अपहृत लगन किशोर रिहा हो चुका है और उसने नेपाल पुलिस की बर्बरता के बारे में खुलासा किया है।
नेपाल पुलिस द्वारा अपहृत लगन किशोर के अनुसार गोली कांड के बाद उसे पकड कर नेपाल पुलिस अपने साथ संग्रामपुर ले गई थी। यहां उस पर नाजायज मारपीट कर दबाव बनाया गया कि वह इस बात को स्वीकार करें कि उसने नेपाल की सीमा में घुसने की कोशिश की थी।
जब सच कुछ अलग ही है
दर असल लगन के बेटे की शादी नेपाल में हुई है और 12 जून को उसकी बहू और उसकी मां सीमातढ़ी आई थीं। हालांकि जब वह वापस नेपाल जाने लगी तो उनको रोक दिया गया, इसी बात पर लगन के बेटे और नेपाल पुलिस में कहासुनी हो गई। नेपाल पुलिस ने लगन के बेटे को काफी मारा पीटा । जब यह बात लगन को पता चली तो वह भी वहां पर पहुंच गया और उसके साथ भी बदसलूकी की गई।
लगन किशोर ने बताया कि इसके बाद नेपाल पुलिस ने वहां पर 10 जवानों को बुलाया, जिन्होंने फायरिंग शुरू कर दी जिसमे एक भारतीय नागरिक की जान चली गयी और दो घायल हो गये ।
हालांकि नेपाल पुलिस इस घटना के बाद अपना पल्ला झाड़ने में लगी है और भारतीयों पर तस्करी का आरोप लगा रही है। हालांकि इस मामले में कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है।
सीतामढ़ी की जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने बताया कि इस मामले को लेकर एसएसबी के आधिकारिक बयान का इंतजार है। लेकिन नेपाल सशस्त्र पुलिस ने बॉर्डर पर तैनात एसएसबी के जवानों को जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि उनसे हथियार छीनने की कोशिश की गई तो उन्होंने जवाब में फायरिंग की।
नेपाल पुलिस की फायरिंग में घायल उमेश राम और उदय ठाकुर को इलाज के लिए सीतामढ़ी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फायरिंग की घटना नेपाल इलाके में हुई है। घटना के मद्देनजर बॉर्डर इलाके में भारतीय जवानों की गश्त तेज कर दी गई है।
हालांकि नेपाल सूत्रो का कहना है कि यह घटनाक्रम नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की तरफ से भारत के प्रति दिए जा रहे जहरीले बयानों और नया नक्शा जारी करने के बाद नेपाल सरकार के विरोध मे नेपाल मे हो रहे आंदोलनो से जनता का ध्यान हटाने की कोशिशो की वजह से हुआ है।
सूत्रो की माने तो औली पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तरह आजीवन प्रधान मंत्री वने रहने का सुनहरा ख्वाव हावी है वह चीन के इशारे पर नेपाल के प्रजातांत्रिक ढांचे को धवस्त कर नेपाल मे चीन की तर्ज पर कम्यूनिष्ट साशन प्रणाली लागू कर स्वयंभू तौर पर आजीवन नेपाल का प्रधान मंत्री वने रहने की दिशा मे कदम बढाते हुये भारत नेपाल के बीच हजारो वर्षो के रोटी बेटी के संबंधो को खत्म करदेना चाहते हैं उनके बयान इस समय नेपाल और भारत के लोगों को उकसा रहे हैं, वहीं पाकिस्तान के इशारे पर भारत नेपाल सीमा पर मधेश इलाको मे तीन हजार मस्जिदो और लगभग दो हजार मदरसो की श्रंखला स्थापित करने के पीछे पाकिस्तान व नेपाल की मंशा अब किसी से छुपी नहीं है जिससे आने वाले दिनों में दूसरी गंभीर घटना भी देखने को मिल सकती हैं।
नेपाल सरकार की भारत के खिलाफ चली नक्शेबाजी हुई फेल, जनता और सांसदों ने खारिज किया प्रस्ताव।
बैकफुट पर आयी औली सरकार ने अब जारी किये गये नेपाली नक्शे के समर्थन मे पुख्ता सबूत इकट्ठा करने के लिये नौ सदस्यीय विशेषज्ञो को को सबूत ढूंढने पर लगाया है
जिसके चलते नेपाल की औली सरकार अब नेपाली नागरिको के ही निशाने पर आगयी है
चालबाज चीन की साजिश का मोहरा बन कर नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत के खिलाफ जो दांव चला वो अब उन्हीं के खिलाफ उल्टा पड़ गया है। जैसे ही केपी शर्मा ओली नक्शे का प्रस्ताव लाये वैसे ही नेपाली जनता ने उनका विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद जब वो प्रस्ताव को लेकर संसद पहुंचे तो पहली बार में प्रस्ताव संसद में पेश ही नहीं हो पाया। जैसे-तैसे संसद में पेश हुआ तो लेकिन पास नहीं कर पाये। अपनी नाक बचाने के लिए ओली सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि नक्शा संशोधित करने के लिए आवश्यक साक्ष्य एकत्र नहीं किये गये हैं। इस लिए अब एक कमटी बनाई गयी है जो इस विषय में आगे कार्यवाही करेगी।
नेपाल सरकार के प्रवक्ता युवराज खतिवडा ने कैबिनेट बैठक का फैसला सुनाते हुए पत्रकार सम्मेलन में कहा कि सरकार ने भारत के साथ सीमा विवाद पर ठोस प्रमाण और दस्तावेज जुटाने के लिए 9 सदस्यों वाली विशेषज्ञों की एक टीम का गठन किया गया है।
खतिवडा के मुताबिक नेपाल सरकार की आधिकारिक थिंकटैंक संस्था नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉक्टर विष्णुराज उप्रेती को इसका संयोजक बनाया गया है। इस समिति में सीमा विशेषज्ञ, भूगोल विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय कानून के ज्ञाता, पुरातत्वविद् आदि को रखा गया है।
हालांकि सरकार के इस फैसले पर कूटनीतिक मामलों के जानकार हैरानी में हैं। नेपाल के जाने माने कूटनीतिक विशेषज्ञ डॉक्टर अरुण सुवेदी ने कहा कि यह आश्चर्य कि बात है कि जो काम पहले करना चाहिए वो काम अब किया जा रहा है। पहले नक्शा प्रकाशित कर फिर संसद में उस पर सरकार संशोधन प्रस्ताव लेकर आई और अब प्रमाण ढूंढने का काम कर रही है। जबकि पहले प्रमाण जमा कर कूटनीतिक वार्ता करनी चाहिए थी।
नेपाल के कब्जे से छूट जिंदा लौटे लगन किशोर ने बताई पुलिस के बर्बरता की कहानी
अब नौ सदस्यीय विशेषज्ञ समिति करेगी नये नक्शे के लिये प्रमाणो की खोज
HTN Live आदेश शर्माकल सुबह बिहार के सीतामढी अंतर्राष्ट्रीय बार्डर पर नेपाल पुलिस की तरफ से चलाई गई अंधाधुंध गोलियां एक भारतीय की मौत दो घायल करने के साथ ही एक भारतीय नागरिक लगन किशोर को नेपाल की पुलिस उठाकर अपने साथ पकड कर ले जाने के रहस्य की पर्ते अब खुलने लगीं हैं क्यो कि भारतीय अधिकारियो के मामले मे हस्तछेप के बाद नेपाल पुलिस द्वारा अकारण भारतीय नागरिको पर सत्रह राउंड गोलियां दाग कर एक भारतीय की हत्या व दो को घायल करने के बाद नेपाल पुलिस द्वारा अपहृत लगन किशोर रिहा हो चुका है और उसने नेपाल पुलिस की बर्बरता के बारे में खुलासा किया है।
नेपाल पुलिस द्वारा अपहृत लगन किशोर के अनुसार गोली कांड के बाद उसे पकड कर नेपाल पुलिस अपने साथ संग्रामपुर ले गई थी। यहां उस पर नाजायज मारपीट कर दबाव बनाया गया कि वह इस बात को स्वीकार करें कि उसने नेपाल की सीमा में घुसने की कोशिश की थी।
जब सच कुछ अलग ही है
दर असल लगन के बेटे की शादी नेपाल में हुई है और 12 जून को उसकी बहू और उसकी मां सीमातढ़ी आई थीं। हालांकि जब वह वापस नेपाल जाने लगी तो उनको रोक दिया गया, इसी बात पर लगन के बेटे और नेपाल पुलिस में कहासुनी हो गई। नेपाल पुलिस ने लगन के बेटे को काफी मारा पीटा । जब यह बात लगन को पता चली तो वह भी वहां पर पहुंच गया और उसके साथ भी बदसलूकी की गई।
लगन किशोर ने बताया कि इसके बाद नेपाल पुलिस ने वहां पर 10 जवानों को बुलाया, जिन्होंने फायरिंग शुरू कर दी जिसमे एक भारतीय नागरिक की जान चली गयी और दो घायल हो गये ।
हालांकि नेपाल पुलिस इस घटना के बाद अपना पल्ला झाड़ने में लगी है और भारतीयों पर तस्करी का आरोप लगा रही है। हालांकि इस मामले में कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है।
सीतामढ़ी की जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने बताया कि इस मामले को लेकर एसएसबी के आधिकारिक बयान का इंतजार है। लेकिन नेपाल सशस्त्र पुलिस ने बॉर्डर पर तैनात एसएसबी के जवानों को जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि उनसे हथियार छीनने की कोशिश की गई तो उन्होंने जवाब में फायरिंग की।
नेपाल पुलिस की फायरिंग में घायल उमेश राम और उदय ठाकुर को इलाज के लिए सीतामढ़ी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फायरिंग की घटना नेपाल इलाके में हुई है। घटना के मद्देनजर बॉर्डर इलाके में भारतीय जवानों की गश्त तेज कर दी गई है।
हालांकि नेपाल सूत्रो का कहना है कि यह घटनाक्रम नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की तरफ से भारत के प्रति दिए जा रहे जहरीले बयानों और नया नक्शा जारी करने के बाद नेपाल सरकार के विरोध मे नेपाल मे हो रहे आंदोलनो से जनता का ध्यान हटाने की कोशिशो की वजह से हुआ है।
सूत्रो की माने तो औली पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तरह आजीवन प्रधान मंत्री वने रहने का सुनहरा ख्वाव हावी है वह चीन के इशारे पर नेपाल के प्रजातांत्रिक ढांचे को धवस्त कर नेपाल मे चीन की तर्ज पर कम्यूनिष्ट साशन प्रणाली लागू कर स्वयंभू तौर पर आजीवन नेपाल का प्रधान मंत्री वने रहने की दिशा मे कदम बढाते हुये भारत नेपाल के बीच हजारो वर्षो के रोटी बेटी के संबंधो को खत्म करदेना चाहते हैं उनके बयान इस समय नेपाल और भारत के लोगों को उकसा रहे हैं, वहीं पाकिस्तान के इशारे पर भारत नेपाल सीमा पर मधेश इलाको मे तीन हजार मस्जिदो और लगभग दो हजार मदरसो की श्रंखला स्थापित करने के पीछे पाकिस्तान व नेपाल की मंशा अब किसी से छुपी नहीं है जिससे आने वाले दिनों में दूसरी गंभीर घटना भी देखने को मिल सकती हैं।
नेपाल सरकार की भारत के खिलाफ चली नक्शेबाजी हुई फेल, जनता और सांसदों ने खारिज किया प्रस्ताव।
बैकफुट पर आयी औली सरकार ने अब जारी किये गये नेपाली नक्शे के समर्थन मे पुख्ता सबूत इकट्ठा करने के लिये नौ सदस्यीय विशेषज्ञो को को सबूत ढूंढने पर लगाया है
जिसके चलते नेपाल की औली सरकार अब नेपाली नागरिको के ही निशाने पर आगयी है
चालबाज चीन की साजिश का मोहरा बन कर नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत के खिलाफ जो दांव चला वो अब उन्हीं के खिलाफ उल्टा पड़ गया है। जैसे ही केपी शर्मा ओली नक्शे का प्रस्ताव लाये वैसे ही नेपाली जनता ने उनका विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद जब वो प्रस्ताव को लेकर संसद पहुंचे तो पहली बार में प्रस्ताव संसद में पेश ही नहीं हो पाया। जैसे-तैसे संसद में पेश हुआ तो लेकिन पास नहीं कर पाये। अपनी नाक बचाने के लिए ओली सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि नक्शा संशोधित करने के लिए आवश्यक साक्ष्य एकत्र नहीं किये गये हैं। इस लिए अब एक कमटी बनाई गयी है जो इस विषय में आगे कार्यवाही करेगी।
नेपाल सरकार के प्रवक्ता युवराज खतिवडा ने कैबिनेट बैठक का फैसला सुनाते हुए पत्रकार सम्मेलन में कहा कि सरकार ने भारत के साथ सीमा विवाद पर ठोस प्रमाण और दस्तावेज जुटाने के लिए 9 सदस्यों वाली विशेषज्ञों की एक टीम का गठन किया गया है।
खतिवडा के मुताबिक नेपाल सरकार की आधिकारिक थिंकटैंक संस्था नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉक्टर विष्णुराज उप्रेती को इसका संयोजक बनाया गया है। इस समिति में सीमा विशेषज्ञ, भूगोल विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय कानून के ज्ञाता, पुरातत्वविद् आदि को रखा गया है।
हालांकि सरकार के इस फैसले पर कूटनीतिक मामलों के जानकार हैरानी में हैं। नेपाल के जाने माने कूटनीतिक विशेषज्ञ डॉक्टर अरुण सुवेदी ने कहा कि यह आश्चर्य कि बात है कि जो काम पहले करना चाहिए वो काम अब किया जा रहा है। पहले नक्शा प्रकाशित कर फिर संसद में उस पर सरकार संशोधन प्रस्ताव लेकर आई और अब प्रमाण ढूंढने का काम कर रही है। जबकि पहले प्रमाण जमा कर कूटनीतिक वार्ता करनी चाहिए थी।
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