Nepal border : नेपाल द्वारा चाइनामेड नेपाली नक्शा जारी करने और चीन समर्थित नेपाली कम्यूनिष्ट पार्टी द्वारा सीमा विवाद के नाम पर नेपाली नागरिको को भारत विरोध पर भडकाने का प्रयास
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आदेश शर्मा जिला व्यूरो जनपद लखीमपुर खीरी
हाल ही मे जब से नेपाल ने मेडइन चाइना नेपाल का नया नक्शा जारी किया है तभी से नेपाल की चीन समर्थित कम्यूनिष्ट पार्टी के तमाम घटक सीमावर्ती नेपाली इलाको मे रह ने वाले आम नेपाली नागरिको को भारत व विरुद्ध भडकाने मे लग गये है जनपद लखीमपुर खीरी से सटी नेपाल सीमा के नेपाली कस्बो टीकापुर टाउन, भजनी,राजा पुर,लमकी,आदि मे दो दिनो से कई जगह घरना प्रदर्शनो का भी दौर जारी है
नेपाल ने अपने नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा सहित करीब 372 वर्ग किमी क्षेत्र को उसका हिस्सा बताया है। इस नक्शे के माध्यम से नेपाल भारत पर 372 वर्ग किलोमीटर भूमि को अतिक्रमण किए जाने की बात कह रहा है। वैसे तो समय-समय पर इस इलाके को लेकर नेपाल इस तरह की हरकत पहले भी करता रहा है लेकिन हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 8 मई को लिपुलेख तक जाने वाली सड़क का उद्घाटन करने के बाद से यह विवाद नए रूप में गरमाया हुआ है। नेपाल का दावा है कि यह सड़क नेपाल से होकर गुजरती है और उसके क्षेत्र कोई देश कैसे सड़क बना सकता है। इसलिए उत्तराखंड से लगी सीमा के आसपास के इलाकों में नेपाल के नए नक्शे का विरोध हो रहा है।
दो सौ वर्ष पूर्व अंग्रेजो व नेपाल के साशको के मध्य 4 मार्च सन् 1816 व सन् 1860 एवं सन् 1950 मे आजाद भारत व नेपाल सरकार के मध्य को हुये समझौते के बाद महाकाली नदी के उद्गम स्थल जिसे कालापानी कहा जाता है के एक तरफ भारत है और दूसरी तरफ नेपाल स्वयं नेपाल के पूर्व स्वर्गीय महाराजा वीरेंद्र ने कभी वहां पर भारतीय सेना की उपस्थिति पर कभी कोई सबाल खडा नही किया न ही पूर्व वर्ती सरकारो ने पर जब से भारत के काश्मीर मे भारत ने धारा 370 समाप्त की है तब से चीन और पाकिस्तान के भडकाये जाने पर नेपाल नाहक ही भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाने लगा है
अब बात करते हैं नेपाली मीडिया की माने तो इस समय बहुत से नेपाली न्यूज पोर्टल अपनी मन घडन्त रिपोर्टे जैसे पाकिस्तान अपनी सेना व हथियारो के साथ नेपाल का साथ देने की बात कह रहा है कभी चीन नेपाल के समर्थन मे भारत से लडाई करने को तैयार है जैसे मनघडंत समाचार प्रसारित करके नेपाली जनता व भारतीय जनता के बीच पौराणिक काल से वने रोटी वेटी के संबधो को मिटाने पर तुल गये हैं
उधर, नेपाल के साथ जारी सीमा विवाद को देखते हुये उत्तराखंड राज्य की धारचूला विधान सभा के विधायक हरीश धामी ने नेपाल के आरोपो को सिरे से नकारते हुए आज कहा कि काली नदी का उद्गम स्थल कालापानी है। इसी के आरपार भारत और नेपाल हैं। इन दिनों लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी के जिस हिस्से पर नेपाल अपना दावा जता रहा है, ये तीनों इलाके उत्तराखंड की धारचूला विधानसभा के भाग हैं।
हरीश धामी ने कालापानी विवाद पर आज बड़ा बयान देते हुए नेपाल को कड़ी चेतावनी दी है। पिथौरागढ़ में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि कालापानी भारत का अभिन्न अंग था और भारत का ही रहेगा। धामी ने कहा कि चीन के बहकावे में आकर नेपाल भारत विरोधी बयान दे रहा है, जो सरासर गलत है। हरीश धामी ने नेपाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत ने नहीं बल्कि नेपाल ने भारत की जमीन पर अतिक्रमण किया है। विधायक धामी ने कहा कि सीमांत के लोग अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए हर समय तैयार हैं
आदेश शर्मा जिला व्यूरो जनपद लखीमपुर खीरी
हाल ही मे जब से नेपाल ने मेडइन चाइना नेपाल का नया नक्शा जारी किया है तभी से नेपाल की चीन समर्थित कम्यूनिष्ट पार्टी के तमाम घटक सीमावर्ती नेपाली इलाको मे रह ने वाले आम नेपाली नागरिको को भारत व विरुद्ध भडकाने मे लग गये है जनपद लखीमपुर खीरी से सटी नेपाल सीमा के नेपाली कस्बो टीकापुर टाउन, भजनी,राजा पुर,लमकी,आदि मे दो दिनो से कई जगह घरना प्रदर्शनो का भी दौर जारी है
नेपाल ने अपने नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा सहित करीब 372 वर्ग किमी क्षेत्र को उसका हिस्सा बताया है। इस नक्शे के माध्यम से नेपाल भारत पर 372 वर्ग किलोमीटर भूमि को अतिक्रमण किए जाने की बात कह रहा है। वैसे तो समय-समय पर इस इलाके को लेकर नेपाल इस तरह की हरकत पहले भी करता रहा है लेकिन हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 8 मई को लिपुलेख तक जाने वाली सड़क का उद्घाटन करने के बाद से यह विवाद नए रूप में गरमाया हुआ है। नेपाल का दावा है कि यह सड़क नेपाल से होकर गुजरती है और उसके क्षेत्र कोई देश कैसे सड़क बना सकता है। इसलिए उत्तराखंड से लगी सीमा के आसपास के इलाकों में नेपाल के नए नक्शे का विरोध हो रहा है।
जब कि कठोर सच्चाई यह भी है कि चीन तिब्बत को हडपने के बाद नेपाल पर भी हाथ साफ करना चाहता है
1965 के पहले से ही वहां पर भारतीय सेना तैनात है
दो सौ वर्ष पूर्व अंग्रेजो व नेपाल के साशको के मध्य 4 मार्च सन् 1816 व सन् 1860 एवं सन् 1950 मे आजाद भारत व नेपाल सरकार के मध्य को हुये समझौते के बाद महाकाली नदी के उद्गम स्थल जिसे कालापानी कहा जाता है के एक तरफ भारत है और दूसरी तरफ नेपाल स्वयं नेपाल के पूर्व स्वर्गीय महाराजा वीरेंद्र ने कभी वहां पर भारतीय सेना की उपस्थिति पर कभी कोई सबाल खडा नही किया न ही पूर्व वर्ती सरकारो ने पर जब से भारत के काश्मीर मे भारत ने धारा 370 समाप्त की है तब से चीन और पाकिस्तान के भडकाये जाने पर नेपाल नाहक ही भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाने लगा है
अब बात करते हैं नेपाली मीडिया की माने तो इस समय बहुत से नेपाली न्यूज पोर्टल अपनी मन घडन्त रिपोर्टे जैसे पाकिस्तान अपनी सेना व हथियारो के साथ नेपाल का साथ देने की बात कह रहा है कभी चीन नेपाल के समर्थन मे भारत से लडाई करने को तैयार है जैसे मनघडंत समाचार प्रसारित करके नेपाली जनता व भारतीय जनता के बीच पौराणिक काल से वने रोटी वेटी के संबधो को मिटाने पर तुल गये हैं
उधर, नेपाल के साथ जारी सीमा विवाद को देखते हुये उत्तराखंड राज्य की धारचूला विधान सभा के विधायक हरीश धामी ने नेपाल के आरोपो को सिरे से नकारते हुए आज कहा कि काली नदी का उद्गम स्थल कालापानी है। इसी के आरपार भारत और नेपाल हैं। इन दिनों लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी के जिस हिस्से पर नेपाल अपना दावा जता रहा है, ये तीनों इलाके उत्तराखंड की धारचूला विधानसभा के भाग हैं।
हरीश धामी ने कालापानी विवाद पर आज बड़ा बयान देते हुए नेपाल को कड़ी चेतावनी दी है। पिथौरागढ़ में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि कालापानी भारत का अभिन्न अंग था और भारत का ही रहेगा। धामी ने कहा कि चीन के बहकावे में आकर नेपाल भारत विरोधी बयान दे रहा है, जो सरासर गलत है। हरीश धामी ने नेपाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत ने नहीं बल्कि नेपाल ने भारत की जमीन पर अतिक्रमण किया है। विधायक धामी ने कहा कि सीमांत के लोग अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए हर समय तैयार हैं
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