बीकापुर तहसील क्षेत्र में अवैध पैथोलॉजी और नर्सिंग होम पर नहीं कसी जा रही नकेल स्वास्थ विभाग फेल
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बीकापुर_अयोध्या
तहसील क्षेत्र में इन दिनों प्रतिदिन सैंकड़ों मरीज अवैध पैथोलॉजी व नर्सिंग होम के जाल में फंसकर आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं।
इस अवैध पैथोलॉजी के कारोबार में समाज के नामी-गिरामी लोग भी शामिल हैं,लिहाजा इनके खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करने से कतराती है।
क्षेत्र के बीकापुर तारुन, रामपुर भगन, हैदरगंज में मरीजों की जिंदगी पूरी तरह भगवान के रहमो-करम पर निर्भर है।
एक तरफ जहां जिले के सबसे बड़े अस्पताल जिला अस्पताल का हाल-बेहाल है.वहीं तो दूसरी तरफ झोला छाप डॉक्टरों की वजह से मरीजों की जान सांसत में है. न केवल डॉक्टर बल्कि पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड तक के मामले में भी पूरे तहसील में फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है.
आलीशान बिल्डिंग से लेकर झुग्गी झोपड़ी तक में डॉक्टरों और नर्सिंग होम के बोर्ड लगे हुए हैं जहां मरीजों का आर्थिक शोषण जारी है. तहसील मुख्यालय ही नहीं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी क्लिनिक और पैथोलॉजी की भरमार है.
सूत्र बताते हैं कि जितने भी डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं, उसमें लगभग 50 फीसदी चिकित्सकों के पास ही वैध डिग्री प्राप्त है. इसके अलावा अजब-गजब डिग्री भी बोर्ड पर लिखे होते हैं और विश्व विद्यालय या संस्था के भी नाम भी अजीबो-गरीब होते हैं।
खास बात यह है कि इस फर्जीवाड़े के इस खेल से विभागीय अधिकारी ही नहीं जिला प्रशासन भी बखूबी वाकिफ है. बावजूद इसके ऐसे पैथोलॉजी के विरुद्ध ना तो कभी जांच की गयी है और ना ही इन पर नकेल कसने के लिये कोई कार्रवाई ही की गयी है।
लिहाजा ये कहना वाजिब ही होगा कि सबों ने एक दूसरे को मौन समर्थन दे रखा है।
जानकारी के मुताबिक केवल बीकापुर तहसील मुख्यालय पर साईं पैथोलॉजी और रूद्र डायग्नोसिस सेंटर डिग्री धारक है।
सूत्रों की मानें तो अधिकतर पैथोलॉजी इंटर, बीए पास द्वारा चलाई जा रही है. जो वर्षों बाद डीएमएसटी में डिप्लोमा कर लेते हैं. जबकि इतनी योग्यता रखने वाला व्यक्ति का पैथलैब में सिर्फ सहयोगी का ही काम कर सकता है. कई पैथलैब में एमडी पैथोलाजिस्ट की जगह एमबीबीएस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करते हैं. इतना ही नहीं उनका सहयोग करने के लिए साधारण टेकनीशियन होते हैं तो कभी-कभी साक्षर भी रहते हैं. गौरतलब है कि किसी भी पैथोलॉजिस्ट के लिए एक दिन में 20 से अधिक स्लाइड देख पाना संभव नहीं है लेकिन साधारण पैथोलॉजी के कर्मचारियों द्वारा सैकड़ों स्लाईड देखा जाता है. अवैध क्लिनिक के विरुद्ध कार्रवाई के नाम पर खानापूरी लगातार मरीजों की आर्थिक शोषण के बाद कभी-कभी प्रशासन भी हरकत में आती रही.
लेकिन आज तक उन संचालकों के विरुद्ध ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है. लिहाजा खुलेआम फिर से अवैध रूप से ऐसे क्लिनिक और जांच घर संचालित किये जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा समुचित कदम नहीं उठाए जाने से मरीज आये दिन इसका शिकार हो रहे हैं. उन्हें अपनी जान देकर भी इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।
सूत्रों की मानें तो ऐसे अवैध क्लिनिक और जांच घर से मोटी कमीशन खास लोगों को दी जाती है. जो इसका संरक्षण करते हैं. लिहाजा इन लोगों पर कभी आंच नहीं आती है. फर्जीवाड़ा का खेल ऐसा है कि चिकित्सक भले ही वाराणसी और लखनऊ में कार्यरत हों, उनके नाम का बोर्ड फर्जी क्लिनिकों पर लगा रहता है. ताकि जांच के दौरान क्लिनिक संचालक जवाब दे सके. ऐसे क्लिनिकों व नर्सिंग होम में धड़ल्ले से ऑपरेशन भी किये जाते हैं. जिसकी आड़ में फर्जी चिकित्सकों का धंधा बेरोक-टोक जारी है. ऐसे क्लिनिक और नर्सिंग होम आलीशान बिल्डिंग से लेकर झुग्गी झोपड़ी तक में चलाये जा रहे हैं, जहां मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ आम बात है.
बीकापुर_अयोध्या
तहसील क्षेत्र में इन दिनों प्रतिदिन सैंकड़ों मरीज अवैध पैथोलॉजी व नर्सिंग होम के जाल में फंसकर आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं।
इस अवैध पैथोलॉजी के कारोबार में समाज के नामी-गिरामी लोग भी शामिल हैं,लिहाजा इनके खिलाफ प्रशासन कार्रवाई करने से कतराती है।
क्षेत्र के बीकापुर तारुन, रामपुर भगन, हैदरगंज में मरीजों की जिंदगी पूरी तरह भगवान के रहमो-करम पर निर्भर है।
एक तरफ जहां जिले के सबसे बड़े अस्पताल जिला अस्पताल का हाल-बेहाल है.वहीं तो दूसरी तरफ झोला छाप डॉक्टरों की वजह से मरीजों की जान सांसत में है. न केवल डॉक्टर बल्कि पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड तक के मामले में भी पूरे तहसील में फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है.
आलीशान बिल्डिंग से लेकर झुग्गी झोपड़ी तक में डॉक्टरों और नर्सिंग होम के बोर्ड लगे हुए हैं जहां मरीजों का आर्थिक शोषण जारी है. तहसील मुख्यालय ही नहीं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी क्लिनिक और पैथोलॉजी की भरमार है.
सूत्र बताते हैं कि जितने भी डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं, उसमें लगभग 50 फीसदी चिकित्सकों के पास ही वैध डिग्री प्राप्त है. इसके अलावा अजब-गजब डिग्री भी बोर्ड पर लिखे होते हैं और विश्व विद्यालय या संस्था के भी नाम भी अजीबो-गरीब होते हैं।
खास बात यह है कि इस फर्जीवाड़े के इस खेल से विभागीय अधिकारी ही नहीं जिला प्रशासन भी बखूबी वाकिफ है. बावजूद इसके ऐसे पैथोलॉजी के विरुद्ध ना तो कभी जांच की गयी है और ना ही इन पर नकेल कसने के लिये कोई कार्रवाई ही की गयी है।
लिहाजा ये कहना वाजिब ही होगा कि सबों ने एक दूसरे को मौन समर्थन दे रखा है।
जानकारी के मुताबिक केवल बीकापुर तहसील मुख्यालय पर साईं पैथोलॉजी और रूद्र डायग्नोसिस सेंटर डिग्री धारक है।
सूत्रों की मानें तो अधिकतर पैथोलॉजी इंटर, बीए पास द्वारा चलाई जा रही है. जो वर्षों बाद डीएमएसटी में डिप्लोमा कर लेते हैं. जबकि इतनी योग्यता रखने वाला व्यक्ति का पैथलैब में सिर्फ सहयोगी का ही काम कर सकता है. कई पैथलैब में एमडी पैथोलाजिस्ट की जगह एमबीबीएस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करते हैं. इतना ही नहीं उनका सहयोग करने के लिए साधारण टेकनीशियन होते हैं तो कभी-कभी साक्षर भी रहते हैं. गौरतलब है कि किसी भी पैथोलॉजिस्ट के लिए एक दिन में 20 से अधिक स्लाइड देख पाना संभव नहीं है लेकिन साधारण पैथोलॉजी के कर्मचारियों द्वारा सैकड़ों स्लाईड देखा जाता है. अवैध क्लिनिक के विरुद्ध कार्रवाई के नाम पर खानापूरी लगातार मरीजों की आर्थिक शोषण के बाद कभी-कभी प्रशासन भी हरकत में आती रही.
लेकिन आज तक उन संचालकों के विरुद्ध ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है. लिहाजा खुलेआम फिर से अवैध रूप से ऐसे क्लिनिक और जांच घर संचालित किये जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा समुचित कदम नहीं उठाए जाने से मरीज आये दिन इसका शिकार हो रहे हैं. उन्हें अपनी जान देकर भी इसकी कीमत चुकानी पड़ती है।
सूत्रों की मानें तो ऐसे अवैध क्लिनिक और जांच घर से मोटी कमीशन खास लोगों को दी जाती है. जो इसका संरक्षण करते हैं. लिहाजा इन लोगों पर कभी आंच नहीं आती है. फर्जीवाड़ा का खेल ऐसा है कि चिकित्सक भले ही वाराणसी और लखनऊ में कार्यरत हों, उनके नाम का बोर्ड फर्जी क्लिनिकों पर लगा रहता है. ताकि जांच के दौरान क्लिनिक संचालक जवाब दे सके. ऐसे क्लिनिकों व नर्सिंग होम में धड़ल्ले से ऑपरेशन भी किये जाते हैं. जिसकी आड़ में फर्जी चिकित्सकों का धंधा बेरोक-टोक जारी है. ऐसे क्लिनिक और नर्सिंग होम आलीशान बिल्डिंग से लेकर झुग्गी झोपड़ी तक में चलाये जा रहे हैं, जहां मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ आम बात है.
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