निराश्रित गोवंश को पकड़ने में जुटा प्रशासन
HTN Live
*[farrukhabad] - *
मुख्यमंत्री के फरमान के बाद गोसदनों के निर्माण की कवायद में जुटे प्रशासन को आखिर रविवार को ग्रामीण क्षेत्र में निराश्रित गोवंश को पकड़ने की सुध आई। सफाई कर्मी व रोजगार सेवकों को गोवंश पकड़ने में लगाया गया है। वहीं प्रधानों ने पशु पालकों को जागरूक करने के लिए डुग्गी पिटवाई। सेक्रेटरी व लेखपालों को आवारा छोड़ने वाले पशु पालकों के चिह्नांकन में लगाया गया है।
किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे अन्ना पशुओं के लिए मुख्यमंत्री ने 10 जनवरी तक गोसदन तैयार कराकर उसने बंद कराने का फरमान जारी किया था। अब तक गोसदनों के स्थाई व अस्थाई निर्माण की ही कवायद चल रही है। वहीं फसलें बचाने के लिए किसानों की नींद हराम है। रविवार के अंक में अमर उजाला ने गांवों में नहीं पकड़े जा रहे गोवंश शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया। इसके बाद प्रशासन की नींद टूटी और सभी ब्लाक क्षेत्रों में निराश्रित पशुुओं का धरपकड़ अभियान चलाया गया। प्रधानों ने अपनी ग्रामसभाओं में डुग्गी पिटवाकर लोगों को अपने पालतू गोवंश बांधकर रखने को जागरूक किया। इसके साथ पकड़े जाने पर 1000 रुपये जुर्माना व 100 रुपये प्रतिदिन चारा-दाना के खर्च भरने की जानकारी दी। ग्राम पंचायत के सचिव व क्षेत्रीय लेखपाल पशुओं को छोड़ने वाले पशुपालकों को चिह्नित कर उनकी सूची बनाते रहे। फिलहाल निराश्रित घूम रहे 4000 गोवंश पर काबू करने का दावा किया गया है।
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मुख्यमंत्री के फरमान के बाद गोसदनों के निर्माण की कवायद में जुटे प्रशासन को आखिर रविवार को ग्रामीण क्षेत्र में निराश्रित गोवंश को पकड़ने की सुध आई। सफाई कर्मी व रोजगार सेवकों को गोवंश पकड़ने में लगाया गया है। वहीं प्रधानों ने पशु पालकों को जागरूक करने के लिए डुग्गी पिटवाई। सेक्रेटरी व लेखपालों को आवारा छोड़ने वाले पशु पालकों के चिह्नांकन में लगाया गया है।
किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे अन्ना पशुओं के लिए मुख्यमंत्री ने 10 जनवरी तक गोसदन तैयार कराकर उसने बंद कराने का फरमान जारी किया था। अब तक गोसदनों के स्थाई व अस्थाई निर्माण की ही कवायद चल रही है। वहीं फसलें बचाने के लिए किसानों की नींद हराम है। रविवार के अंक में अमर उजाला ने गांवों में नहीं पकड़े जा रहे गोवंश शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया। इसके बाद प्रशासन की नींद टूटी और सभी ब्लाक क्षेत्रों में निराश्रित पशुुओं का धरपकड़ अभियान चलाया गया। प्रधानों ने अपनी ग्रामसभाओं में डुग्गी पिटवाकर लोगों को अपने पालतू गोवंश बांधकर रखने को जागरूक किया। इसके साथ पकड़े जाने पर 1000 रुपये जुर्माना व 100 रुपये प्रतिदिन चारा-दाना के खर्च भरने की जानकारी दी। ग्राम पंचायत के सचिव व क्षेत्रीय लेखपाल पशुओं को छोड़ने वाले पशुपालकों को चिह्नित कर उनकी सूची बनाते रहे। फिलहाल निराश्रित घूम रहे 4000 गोवंश पर काबू करने का दावा किया गया है।
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