एक तरफ अवध की,वो खूबसूरत शाम है। तो दूसरी तरफ,काशी का,वो सुंदर सवेरा




ऐ खुशनसीब तकदीर,तू मुझको किस रास्ते पर,लेकर आयी है।         

अब तो उस,रास्ते की हर,वो एक गलिया,मुझको भायी है।।

एक तरफ अवध की,वो खूबसूरत शाम है।
तो दूसरी तरफ,काशी का,वो सुंदर सवेरा है।।

अरे जी तो चाहता है,की डूब जाऊँ,इस हिन्दुस्तान मे।
क्युकी पूरे हिन्दुस्तान,मे तो मोहब्बत का,बसेरा है।।
         शायर=मो●रोमान।

No comments